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“हमारा वजूद मिटाया जा रहा है” — सीरिया में ड्रूज़ समुदाय पर जातीय सफाया, 940 से ज़्यादा मौतें

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सीरिया ड्रूज़ हिंसा: एक समुदाय के खिलाफ नरसंहार की तस्वीर

डिजिटल न्यूज़ तक | इंटरनेशनल डेस्क

सीरिया के दक्षिणी प्रांत अल-सुएदा में इन दिनों भयंकर संकट चल रहा है। सीरिया ड्रूज़ हिंसा ने एक बार फिर दुनिया का ध्यान खींचा है। इस हिंसा में अब तक 940 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं, और हजारों लोग विस्थापित हो चुके हैं।

स्थानीय लोगों का कहना है कि यह सिर्फ संघर्ष नहीं बल्कि जातीय सफाया (Ethnic Cleansing) है। सीरिया ड्रूज़ हिंसा के पीछे न केवल सांप्रदायिक तनाव है, बल्कि एक बड़े राजनीतिक खेल की झलक भी है।


🔥 कैसे शुरू हुई सीरिया ड्रूज़ हिंसा?

यह हिंसा एक ड्रूज़ सब्ज़ी विक्रेता पर हमले से शुरू हुई, जिसे कुछ सुन्नी युवकों ने पीटा और लूट लिया। जवाबी कार्रवाई में ड्रूज़ समुदाय ने भी सुन्नी नागरिकों को बंधक बना लिया। इसके बाद से घटनाएं तेज़ी से बढ़ीं और देखते ही देखते पूरा अल-सुएदा जलने लगा।

सीरिया ड्रूज़ हिंसा के आंकड़े चौंकाने वाले हैं:

326 ड्रूज़ लड़ाके मारे गए

262 आम नागरिकों की हत्या हुई, जिनमें से 165 को सरेआम गोली मारी गई

312 सरकारी सैनिकों की मौत

21 सुन्नी बेडुइनों की भी मौत, जिनमें से 3 को ड्रूज़ लड़ाकों ने मारा


🕊️ ड्रूज़ समुदाय कौन हैं और क्यों है टारगेट?

ड्रूज़ एक धार्मिक और जातीय अल्पसंख्यक समुदाय हैं, जिनकी मान्यताएं इस्लाम, यूनानी दर्शन और रहस्यवाद से जुड़ी हैं। इनकी जनसंख्या मुख्य रूप से सीरिया के जाबल अल-द्रूज़ और अल-सुएदा क्षेत्र में है।

सीरिया ड्रूज़ हिंसा का एक बड़ा कारण यह है कि ये समुदाय लंबे समय से सत्ता से दूरी बनाए हुए था और किसी भी चरमपंथी गुट से नहीं जुड़ा था। लेकिन नई अंतरिम सरकार आने के बाद से उन्हें आतंकवाद के नाम पर टारगेट किया जा रहा है।


⚠️ अहमद अल-शराआ की सत्ता और बढ़ते खतरे

दिसंबर 2024 में जब सीरिया में बशर अल-असद की सत्ता खत्म हुई, तब अहमद अल-शराआ को अंतरिम राष्ट्रपति बनाया गया। वह पहले हयात तहरीर अल-शाम जैसे आतंकी संगठन से जुड़े रह चुके हैं।

ड्रूज़ समुदाय को लगता है कि सीरिया ड्रूज़ हिंसा में अहम भूमिका इसी नए नेतृत्व की है। लोगों का आरोप है कि सरकार खुद या उसकी शह पर चरमपंथी गुट ड्रूज़ लोगों पर हमले कर रहे हैं।


😢 मूंछें काटना और सार्वजनिक अपमान – अपमानजनक हमलों की श्रृंखला

सीरिया ड्रूज़ हिंसा सिर्फ हत्या तक सीमित नहीं है, बल्कि पहचान मिटाने की भी साज़िश है।
स्थानीय रिपोर्टों के अनुसार:

बुजुर्ग ड्रूज़ पुरुषों की मूंछें जबरन शेव की जा रही हैं

वीडियो बनाए जा रहे हैं जिनमें लोगों को सरेआम मारा जा रहा है

धार्मिक स्थलों को अपवित्र किया जा रहा है

यह सब एक संगठित प्रयास जैसा लगता है — एक समुदाय को डराने, अपमानित करने और मिटाने का प्रयास।


🛡️ स्थानीय प्रतिरोध: सुएदा मिलिट्री काउंसिल का गठन

सीरिया ड्रूज़ हिंसा के जवाब में मार्च 2025 में ड्रूज़ लड़ाकों ने एक Suwayda Military Council बनाया, जिसका उद्देश्य था आत्मरक्षा और क्षेत्र की सुरक्षा।

हालांकि यह संगठन पूरे ड्रूज़ समुदाय का प्रतिनिधित्व नहीं करता। कुछ वरिष्ठ धार्मिक नेता इसे अलगाववादी कदम मानते हैं। इसके बावजूद, यह काउंसिल सीमाओं की रक्षा और हमलों का जवाब देने में सक्रिय है।


🌍 इज़राइल, अमेरिका और अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप

सीरिया ड्रूज़ हिंसा जब अंतरराष्ट्रीय मीडिया में आई, तो इज़राइल ने प्रतिक्रिया देते हुए सीरिया के सैन्य ठिकानों पर हमला किया। इज़राइल का कहना है कि वह ड्रूज़ समुदाय की रक्षा करेगा।

बाद में अमेरिका, तुर्की और जॉर्डन की मध्यस्थता से एक संघर्षविराम (Ceasefire) की घोषणा की गई। लेकिन अब भी कई क्षेत्रों से हमले और लूटपाट की खबरें आ रही हैं।


🏚️ लाखों लोग विस्थापित, भविष्य अनिश्चित

संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, सीरिया ड्रूज़ हिंसा के चलते अब तक 87,000 से अधिक लोग अल-सुएदा से पलायन कर चुके हैं। इनका न कोई स्थायी ठिकाना है, न सुरक्षा।


🔚 निष्कर्ष: सीरिया ड्रूज़ हिंसा क्या एक चेतावनी है?

सीरिया ड्रूज़ हिंसा न केवल एक समुदाय पर हमला है, बल्कि यह भविष्य के लिए एक चेतावनी भी है — कि यदि धार्मिक सहिष्णुता और अल्पसंख्यकों की रक्षा सुनिश्चित नहीं की गई, तो गृहयुद्ध से उभरते देश फिर से अंधकार में चले जाएंगे।

Prashant srivastava

प्रशांत श्रीवास्तव Digital News Tak के संस्थापक हैं, जो एक हिंदी समाचार प्लेटफॉर्म है। यह प्लेटफॉर्म देश-दुनिया की ताज़ा घटनाओं, मनोरंजन और अन्य विषयों पर समय पर और भरोसेमंद अपडेट प्रदान करता है।

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