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‘सैयारा’ को कोरियन फ़िल्म ‘A Moment to Remember’ का रीमेक बताने के दावे में कितना है दम?

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इन दिनों यशराज फ़िल्म्स की नई पेशकश ‘सैयारा’ सिनेमाघरों में ज़बरदस्त धमाल मचा रही है।

सोशल मीडिया से लेकर थिएटर तक इस फ़िल्म की तारीफ़ों के पुल बांधे जा रहे हैं।

युवा दर्शकों की आंखों में आंसू हैं, थिएटर हाउसफुल चल रहे हैं और मेकर्स मुस्कुरा रहे हैं।

इस सफलता के बीच एक सवाल भी तेज़ी से चर्चा में है – क्या ‘सैयारा’ कोरियन ‘A Moment to Remember’ की रीमेक है?

Photo Source: YRF-Instagram Page

कोरियन सिनेमा की क्लासिक लव स्टोरी

2004 में रिलीज़ हुई साउथ कोरियन रोमांटिक फिल्म A Moment to Remember अपने इमोशनल कंटेंट और दिल को छू लेने वाली कहानी के लिए बेहद मशहूर रही है।

यह फ़िल्म जापानी टीवी सिरीज़ ‘Pure Soul’ से प्रेरित थी, और 2012 में इसका तुर्की में ‘Evim Sensin’ नाम से रीमेक भी बना।

इस फ़िल्म की कहानी किम सू-जिन और चोई चुल-सू के इर्द-गिर्द घूमती है – दो अलग सामाजिक पृष्ठभूमियों से आए किरदार, जिनका प्यार शादी तक पहुँचता है। लेकिन शादी के बाद सामने आता है कि सू-जिन अल्ज़ाइमर की शुरुआती अवस्था से जूझ रही है।

‘सैयारा’ और ‘A Moment to Remember’: समानता कितनी, भिन्नता कैसी?

सैयारा’ में वाणी (अनीत पड्डा) और कृष के बीच की प्रेम कहानी को दिखाया गया है। वाणी का किरदार भी अल्ज़ाइमर की शुरुआती अवस्था में है और वह एक टूटे रिश्ते से उबरने की कोशिश कर रही है – ठीक वैसे ही जैसे सू-जिन। यही समानता लोगों को सोचने पर मजबूर कर रही है कि क्या यह फ़िल्म एक अनऑफिशियल रीमेक है।

हालाँकि ‘A Moment to Remember’ में हीरो-हीरोइन की शादी फ़िल्म की शुरुआत में ही हो जाती है और बीमारी के खुलासे के बाद कहानी भावनात्मक संघर्ष पर केंद्रित हो जाती है। वहीं ‘सैयारा’ में शादी कहानी के आख़िरी हिस्से में होती है और पूरा फोकस यंग रोमांस और उसकी मासूमियत पर रहता है।

स्पष्ट अंतर: सामाजिक परतें और संगीत की भूमिका

कोरियन फ़िल्म में सामाजिक वर्गों के टकराव को एक अहम मुद्दा बनाया गया है, लेकिन ‘सैयारा’ में यह पहलू पूरी तरह से गायब है।

‘सैयारा’ में दोनों किरदार म्यूज़िक इंडस्ट्री से जुड़े हैं। कृष एक संघर्षरत गायक है और वाणी उसकी प्रेरणा। फ़िल्म में संगीत केवल एक बैकग्राउंड स्कोर नहीं बल्कि कहानी का अहम हिस्सा बनकर उभरता है, जो ‘A Moment to Remember’ से इसे अलग दिशा देता है।

फिर भी असर क्यों दिखता है?

एक सीन ऐसा है जो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है – वाणी (अनीत पड्डा) अपने एक्स-बॉयफ्रेंड के साथ होती है, कृष वहां आता है, और वाणी अचानक चाकू से उस पर हमला कर देती है। इस सीन की हूबहू छवि ‘A Moment to Remember’ में भी मिलती है, जहां सू-जिन की याददाश्त गड़बड़ाती है और वह हिंसक प्रतिक्रिया देती है।

यहां तक कि दोनों फ़िल्मों में हीरो द्वारा पुराने पलों को दोबारा रचकर प्रेमिका की यादें वापस लाने की कोशिश – ये सभी समानताएं दर्शकों को यह सोचने पर मजबूर कर रही हैं कि प्रेरणा सिर्फ़ इत्तेफ़ाक़ नहीं है।

फोटो सोर्स: नेटफलिक्स

मोहित सूरी और कोरियन फ़िल्मों से उनका पुराना रिश्ता

‘सैयारा’ के निर्देशक मोहित सूरी के लिए यह पहली बार नहीं है जब उन पर कोरियन फ़िल्मों से प्रेरणा लेने का आरोप लगा हो।

उनकी 2007 की फ़िल्म आवारापन, कोरियन हिट ‘A Bittersweet Life’ से प्रेरित थी। इसके बाद मर्डर 2 (The Chaser), एक विलन (I Saw the Devil) जैसी फ़िल्में भी कोरियन मूल से प्रभावित रहीं।

इसके विपरीत, उनकी वे फ़िल्में जो विदेशी फ़िल्मों से प्रेरित नहीं थीं – जैसे हमारी अधूरी कहानी, हाफ गर्लफ्रेंड, मलंग – बॉक्स ऑफिस पर विफल रहीं।

मोहित सूरी का सिग्नेचर स्टाइल “टूटे दिलों और गहरे दर्द में डूबे प्रेमियों” की कहानियों के इर्द-गिर्द घूमता है। इसी स्टाइल को उन्होंने ‘सैयारा’ में भी बखूबी बरकरार रखा है।

क्यों बॉलीवुड को इतनी पसंद हैं कोरियन कहानियाँ?

‘सैयारा’ ही नहीं, बॉलीवुड कई बार कोरियन सिनेमा से प्रेरित हुआ है।

OldboyZinda (संजय दत्त, जॉन अब्राहम)

7 DaysJazbaa (इरफ़ान, ऐश्वर्या)

The OutlawsRadhe (सलमान ख़ान)

Ode to My FatherBharat (सलमान ख़ान)

The Man from NowhereRocky Handsome (जॉन अब्राहम)

बॉलीवुड में पहले भी कोरियन फ़िल्मों से प्रेरित होकर फ़िल्में बनती रही हैं

ऐसी फ़िल्में न सिर्फ़ थ्रिलर हैं, बल्कि उनमें गहरे इमोशनल कॉन्टेंट भी होता है – जो भारतीय दर्शकों को पसंद आता है।

कोरियन फ़िल्मों और भारतीय संस्कृति में कुछ सांस्कृतिक समानताएँ भी हैं – पारिवारिक मूल्यों, पहली मोहब्बत, संघर्ष और संवेदनशीलता पर आधारित कहानी कहने का तरीका।

इसके अलावा, कोरियन कहानियाँ अक्सर क्लीन होती हैं – बिना जरूरत से ज़्यादा बोल्डनेस या अश्लीलता के, जो इन्हें पारिवारिक दर्शकों के बीच भी लोकप्रिय बनाता है।

प्रेरणा बनाम रीमेक: फ़र्क है

यशराज फ़िल्म्स ने ‘सैयारा’ को ‘रीमेक’ नहीं कहा है। लेकिन दर्शकों की नज़रों से कुछ नहीं छुपता। सोशल मीडिया और फ़िल्म विश्लेषकों ने कई समानताओं की ओर इशारा किया है, पर यह भी सच है कि ‘सैयारा’ ने इन भावनाओं को अपनी संस्कृति, संगीत और किरदारों के ज़रिए नए अंदाज़ में पेश किया है।

किसी कहानी से प्रेरित होकर उसे अपनी भाषा में कह देना अपराध नहीं होता – खासकर तब जब वह दिल को छू जाए।

निष्कर्ष: ‘सैयारा’ – एक प्रेरणा या रीमेक?

‘सैयारा’ और ‘A Moment to Remember’ के बीच समानताएं नकारा नहीं जा सकतीं, लेकिन साथ ही ‘सैयारा’ की अपनी एक अलग पहचान है – म्यूज़िक, भारतीय बैकड्रॉप और यंग लव एंगल इसे एक नया रंग देते हैं।

हो सकता है यशराज फ़िल्म्स कभी न मानें कि यह रीमेक है, और हो सकता है दर्शक कभी भूल न पाएं कि उन्होंने कुछ सीन पहले भी देखे हैं। लेकिन अंत में फ़ैसला वही करता है जिसे सबसे ज़्यादा हक़ है – दर्शक।

और अगर वही दर्शक सिनेमाहॉल में खड़ा होकर तालियाँ बजा रहा है, तो शायद प्रेरणा का सफ़र भी एक तरह की सफलता है।

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Vipin Sharma

विपिन शर्मा डिजिटल न्यूज तक के आधिकारिक समाचार लेखक हैं, जो राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मामलों पर सटीक और समय पर अपडेट प्रदान करने के लिए जाने जाते हैं। वे अपने दर्शकों को नवीनतम घटनाओं से जोड़े रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

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