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“इंडिया आउट” से “इंडिया वेलकम”: मालदीव में मोदी का ऐतिहासिक स्वागत

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भूमिका: द्विपक्षीय संबंधों में नई गर्मजोशी

एक समय था जब मालदीव के राजनीतिक गलियारों में “इंडिया आउट” के नारे गूंज रहे थे। लेकिन समय का पहिया घूम चुका है। अब वही मालदीव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का खुले दिल से स्वागत कर रहा है। राष्ट्रपति मोहम्मद मुइजु की सरकार और भारत के बीच हालिया रिश्तों में तेजी से बदलाव आया है। अब दोनों देश साझा भविष्य की ओर कदम बढ़ा रहे हैं।

राष्ट्रपति मुइज्जू ने PM मोदी का गर्मजोशी से स्वागत किया (फोटो: इंडिया टुडे)

PM मोदी का भव्य स्वागत: बदली राजनीतिक दिशा

प्रधानमंत्री मोदी जब मालदीव पहुंचे तो उन्हें पारंपरिक रीति-रिवाजों और लाल कालीन बिछाकर स्वागत किया गया। मालदीव सरकार ने भारतीय प्रधानमंत्री की यात्रा को “राजकीय सम्मान” के तौर पर पेश किया। यह वही मालदीव है जहां कुछ महीने पहले “इंडिया आउट” जैसे अभियानों को हवा दी जा रही थी।

यह स्वागत केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि राजनीतिक सोच और विदेश नीति में बदलाव का प्रतीक है।

|हमारे संबंधों की जड़ें इतिहास से भी पुरानी हैं और सागर जितनी गहरी हैं.

Addressing the press meet with President @MMuizzu of Maldives.

https://twitter.com/i/broadcasts/1MYxNwombvZKw

“इंडिया आउट” अभियान क्या था?

राजनीतिक पृष्ठभूमि:

“इंडिया आउट” अभियान मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन के समर्थकों द्वारा शुरू किया गया था। इस आंदोलन का मुख्य उद्देश्य था भारत की कथित सैन्य मौजूदगी और दखलअंदाजी का विरोध। इसे सोशल मीडिया और राजनीतिक रैलियों के ज़रिए उभारा गया।

मौजूदा सरकार का रुख:

राष्ट्रपति मोहम्मद मुइजु ने सत्ता में आने के बाद शुरुआत में “इंडिया फर्स्ट” नीति से थोड़ा हटकर कदम उठाए, लेकिन जल्द ही उन्हें समझ आ गया कि भारत से दूरी देश की अर्थव्यवस्था और विकास के लिए नुकसानदायक होगी।

भारत-मालदीव साझेदारी: एक नया युग

आर्थिक सहयोग:

प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा के दौरान भारत ने मालदीव को करोड़ों डॉलर की सहायता देने का वादा किया है। इसमें शामिल हैं:

  • 100 मिलियन डॉलर की बजट सहायता
  • नई विकास परियोजनाओं के लिए 200 मिलियन डॉलर का ऋण
  • इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के लिए अनुदान

पर्यटन और व्यापार:

मालदीव की अर्थव्यवस्था पर्यटन पर आधारित है, और भारत से बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं। मोदी सरकार ने भारत-मालदीव के बीच वीज़ा नियमों में ढील देने और उड़ानों की संख्या बढ़ाने का आश्वासन दिया है।

रणनीतिक महत्व: भारत की इंडो-पैसिफिक नीति में मालदीव की भूमिका

भौगोलिक स्थिति का महत्व:

मालदीव हिंद महासागर में एक महत्वपूर्ण स्थान पर स्थित है। चीन भी इस क्षेत्र में अपनी मौजूदगी बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। ऐसे में भारत के लिए मालदीव एक सामरिक साझेदार बन जाता है।

सुरक्षा और रक्षा सहयोग:

भारत मालदीव की नौसेना को ट्रेनिंग, उपकरण और तकनीकी सहायता प्रदान करता रहा है। अब इस सहयोग को और मज़बूत किया जा रहा है। दोनों देश मिलकर समुद्री निगरानी, ड्रोन तकनीक और तटरक्षक अभियानों में सहयोग कर रहे हैं।

चीन का प्रभाव कम करने की कोशिश

पिछले कुछ वर्षों में मालदीव में चीन का प्रभाव तेजी से बढ़ा था। बड़े-बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट, कर्ज़ और चीनी निवेश ने भारत की चिंता बढ़ा दी थी। लेकिन अब प्रधानमंत्री मोदी की इस यात्रा से यह साफ हो गया कि भारत मालदीव को एक स्थायी और भरोसेमंद साझेदार देना चाहता है — चीन जैसी ‘कर्ज़ की जाल’ नहीं।

जनता और सोशल मीडिया का रुख

पूर्व विरोध और अब समर्थन:

जहां पहले सोशल मीडिया पर #IndiaOut ट्रेंड कर रहा था, वहीं अब #WelcomeModi और #IndiaMaldivesFriendship जैसे हैशटैग ट्रेंड में हैं। मालदीव की जनता को भी यह एहसास हो गया है कि भारत ही वह देश है जो बगैर किसी स्वार्थ के मदद करता है — चाहे वह कोविड वैक्सीन हो या प्राकृतिक आपदा।

प्रमुख समझौते: जिनसे बदलेगा मालदीव का भविष्य

प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा के दौरान जिन समझौतों पर हस्ताक्षर हुए, उनमें शामिल हैं:

  • सोलर एनर्जी प्रोजेक्ट्स का विस्तार
  • कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए ब्रिज और रोड प्रोजेक्ट्स
  • हेल्थकेयर और एजुकेशन में सहयोग
  • डिजिटल ट्रांजैक्शन सिस्टम लागू करना

ये सभी समझौते मालदीव को आत्मनिर्भरता की ओर ले जाएंगे और भारत की ‘नेबरहुड फर्स्ट’ नीति को मजबूती देंगे।

राजनीतिक संकेत: मालदीव सरकार की बदली रणनीति

राष्ट्रपति मोहम्मद मुइजु की सरकार को अब यह स्पष्ट हो गया है कि भारत से दूरी बनाकर देश को अंतरराष्ट्रीय मंच पर कोई फायदा नहीं होने वाला। इसलिए अब उनकी नीति में स्पष्ट बदलाव देखा जा रहा है।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह रणनीति भारत के खिलाफ न जाकर, भारत के साथ खड़े होकर भविष्य सुरक्षित करने की दिशा में उठाया गया कदम है।

विशेषज्ञों की राय: भारत ने जीत लिया दिल

विदेश नीति विश्लेषण:

पूर्व राजनयिकों और रणनीतिक मामलों के जानकारों का कहना है कि मोदी सरकार की निरंतरता और विश्वास के चलते मालदीव जैसे देश भी भारत की ओर आकर्षित हो रहे हैं। प्रधानमंत्री की “वसुधैव कुटुंबकम” की सोच ने कई देशों को भारत का विश्वसनीय साथी मानने पर मजबूर कर दिया है।

निष्कर्ष: एक बदला हुआ परिदृश्य

मालदीव में “इंडिया आउट” की गूंज भले ही कुछ समय तक रही हो, लेकिन अब वहां “इंडिया इज बैक” की भावना है। प्रधानमंत्री मोदी का स्वागत केवल एक राजनैतिक घटना नहीं, बल्कि इस बात का संकेत है कि क्षेत्रीय राजनीति में भारत की पकड़ फिर से मजबूत हो रही है।

भारत-मालदीव संबंध अब केवल औपचारिक नहीं, बल्कि रणनीतिक, आर्थिक और सामाजिक साझेदारी की ओर बढ़ रहे हैं। इस बदलते परिदृश्य में भारत न केवल एक बड़े भाई की भूमिका निभा रहा है, बल्कि एक सच्चे और भरोसेमंद मित्र के रूप में भी उभर रहा है।

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Vipin Sharma

विपिन शर्मा डिजिटल न्यूज तक के आधिकारिक समाचार लेखक हैं, जो राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मामलों पर सटीक और समय पर अपडेट प्रदान करने के लिए जाने जाते हैं। वे अपने दर्शकों को नवीनतम घटनाओं से जोड़े रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

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