नेपाल में सोशल मीडिया बैन से मचा बवाल
Nepal Protest News इन दिनों पूरी दुनिया की सुर्खियों में है।नेपाल सरकार ने हाल ही में फेसबुक, व्हाट्सऐप, इंस्टाग्राम और एक्स (ट्विटर) समेत 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बैन लगाया। इस फैसले से युवाओं में गुस्सा भड़क गया। नतीजतन, सड़कों पर हिंसक प्रदर्शन शुरू हो गए।
लेकिन यह फैसला ओली सरकार के लिए भारी पड़ गया। बैन के कुछ ही घंटों बाद नेपाल के युवा, खासकर Gen Z पीढ़ी, सड़कों पर उतर आई। देखते ही देखते विरोध इतना बड़ा हुआ कि राजधानी काठमांडू से लेकर पोखरा तक हालात बेकाबू हो गए।
तीन दिन का बैन और फिर खूनी आंदोलन

नेपाल सरकार ने 4 सितंबर को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर बैन लगाया। शुरुआत में सरकार ने दावा किया कि यह कदम नियम-कानून लागू करने और साइबर सुरक्षा को मजबूत करने के लिए उठाया गया है। लेकिन युवाओं ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बताया।
धीरे-धीरे प्रदर्शन भड़कने लगे और 72 घंटे के भीतर यह आंदोलन Gen Z क्रांति (Gen Z Revolution) में बदल गया। प्रदर्शनकारियों का गुस्सा इतना बढ़ा कि कई इलाकों में कर्फ्यू लगाना पड़ा।
संसद तक पहुंचे प्रदर्शनकारी
Nepal Protest News के मुताबिक, सोमवार को काठमांडू में हालात उस वक्त और बिगड़ गए जब प्रदर्शनकारी संसद भवन में घुस गए। सुरक्षा घेरा तोड़ने के बाद पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा। सुरक्षाबलों ने भीड़ को काबू करने के लिए आंसू गैस, पानी की बौछार और लाठीचार्ज का इस्तेमाल किया।
लेकिन स्थिति इतनी बेकाबू हो गई कि गोलियां चलानी पड़ीं। इस गोलीबारी में अब तक 20 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, जबकि 300 से ज्यादा लोग घायल हैं।

क्यों भड़के नेपाल के युवा?
इस विरोध को सिर्फ सोशल मीडिया बैन की वजह से सीमित नहीं माना जा रहा। युवाओं के गुस्से की असली वजहें गहरी हैं:
- लंबे समय से बढ़ती बेरोजगारी
- सरकारी संस्थानों में भ्रष्टाचार
- युवाओं की आवाज को दबाने की कोशिश
- अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला
विशेषज्ञों का कहना है कि सोशल मीडिया बैन तो बस चिंगारी थी, असली बारूद बेरोजगारी और भ्रष्टाचार का गुस्सा था।
नेपाल में Gen Z क्रांति की 10 बड़ी बातें
- इस आंदोलन को ‘Gen-Z Revolution’ कहा जा रहा है क्योंकि इसमें नेतृत्व युवा और छात्रों ने किया।
- तत्काल कारण था सोशल मीडिया बैन।
- भ्रष्टाचार और बेरोजगारी भी आंदोलन का बड़ा मुद्दा बने।
- संसद भवन परिसर तक प्रदर्शनकारियों की पहुंच ने सरकार को हिला दिया।
- कई जगह हिंसक झड़पें हुईं।
- पुलिस ने लाठीचार्ज और आंसू गैस का इस्तेमाल किया।
- गोलीबारी में 20 मौतें और 300 से ज्यादा घायल हुए।
- काठमांडू और पोखरा में कर्फ्यू लगाया गया।
- हालात काबू करने के लिए सेना तक तैनात करनी पड़ी।
- अंत में सरकार को झुकना पड़ा और सोशल मीडिया बैन हटाना पड़ा।
सरकार का यू-टर्न
नेपाल के संचार मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरुंग ने कैबिनेट की आपात बैठक के बाद घोषणा की कि सोशल मीडिया बैन हटा दिया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार ने युवाओं की मांगों को सुना है और प्लेटफॉर्म्स को फिर से चालू करने का आदेश दे दिया है।
सोमवार रात से फेसबुक, व्हाट्सऐप, एक्स और यूट्यूब जैसी साइटें फिर से काम करने लगीं। सरकार ने साथ ही प्रदर्शनकारियों से शांति बनाए रखने की अपील की।
नेपाल के लिए बड़ा सबक
यह घटना नेपाल सरकार के लिए एक बड़ा सबक है। Nepal Protest News यह दिखाता है कि आज की युवा पीढ़ी, खासकर Gen Z, अपनी आवाज दबाने नहीं देगी। सोशल मीडिया सिर्फ मनोरंजन का साधन नहीं, बल्कि युवाओं के लिए लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की ताकत बन चुका है।
यदि सरकारें उनकी आवाज सुनने में असफल रहती हैं, तो सड़क पर उतरने से वे पीछे नहीं हटेंगी।
निष्कर्ष
Nepal Protest News इस बात की गवाही है कि डिजिटल युग में सोशल मीडिया पर बैन लगाना आसान नहीं है। नेपाल में हुए इस Gen Z आंदोलन ने दुनिया को दिखा दिया कि आज की युवा पीढ़ी लोकतंत्र और आज़ादी की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकती है।
ओली सरकार को आखिरकार पीछे हटना पड़ा और सोशल मीडिया बैन हटाना पड़ा। लेकिन सवाल यह है कि क्या इससे नेपाल की बेरोजगारी और भ्रष्टाचार की समस्या खत्म होगी, या यह सिर्फ एक और राजनीतिक खेल साबित होगा?
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