नेपाल की राजनीति हमेशा उथल-पुथल से भरी रही है और इस तूफानी राजनीति का सबसे चर्चित चेहरा रहे हैं K P Sharma Oli। किसान परिवार से निकलकर प्रधानमंत्री की कुर्सी तक का उनका सफर जितना संघर्षों से भरा रहा, उतना ही विवादों से भी।
बचपन और शुरुआती जीवन

K P Sharma Oli का जन्म 1952 में नेपाल के पूर्वी इलाके में हुआ। पढ़ाई अधूरी छोड़ने के बाद उन्होंने बहुत कम उम्र में राजनीति की ओर रुख किया। 22 साल की उम्र में वे हत्या के आरोप में जेल भी गए। इस घटना ने उनकी छवि को और जटिल बना दिया।
जेल से राजनीति तक का सफर
सिर्फ 18 साल की उम्र में K P Sharma Oli ने कम्युनिस्ट पार्टी ज्वाइन कर ली। 1970 में गिरफ्तारी के बाद उन्होंने लगभग 14 साल जेल में बिताए। जेल का यह अनुभव उनके विचारों और राजनीतिक दृष्टिकोण को गहराई से प्रभावित करता है। 1971 में उन्होंने झापा विद्रोह का नेतृत्व किया, जिसने नेपाल की कम्युनिस्ट राजनीति को नई दिशा दी।
लोकतांत्रिक आंदोलन में योगदान
1990 के दशक में नेपाल के लोकतांत्रिक आंदोलन में K P Sharma Oli की भूमिका अहम रही। इस दौर ने उन्हें आम जनता के बीच लोकप्रिय बना दिया। पंचायती शासन व्यवस्था के पतन के बाद वे मुख्यधारा की राजनीति में बड़े नेता के रूप में उभरे।
प्रधानमंत्री बनने का सफर
2015 में K P Sharma Oli पहली बार प्रधानमंत्री बने। हालांकि, उनकी पहली पारी ज्यादा लंबी नहीं रही और 2016 में उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। इसके बावजूद उनकी लोकप्रियता कम नहीं हुई।
2018 में जब उनकी पार्टी CPN-UML ने माओवादी केंद्र के साथ मिलकर चुनाव लड़ा, तो उन्हें जबरदस्त जीत मिली। दोनों पार्टियों के गठबंधन ने दो-तिहाई बहुमत हासिल किया। इसके बाद K P Sharma Oli दूसरी बार प्रधानमंत्री बने। इस कार्यकाल में उन्होंने “समृद्ध नेपाल, सुखी नेपाली” का नारा दिया।
विवाद और सत्ता संघर्ष
प्रधानमंत्री रहते हुए K P Sharma Oli ने कई विवादित कदम उठाए। उन्होंने सत्ता को केंद्रीकृत किया और कई अहम जांच एजेंसियों को प्रधानमंत्री कार्यालय के अधीन कर लिया। प्रचंड के साथ सत्ता साझा करने के समझौते को निभाने से उनकी अनिच्छा ने पार्टी में बगावत को जन्म दिया।
सबसे बड़ा विवाद तब हुआ जब दिसंबर 2020 में उन्होंने संसद को भंग कर दिया। यह कदम संविधान के खिलाफ था और सुप्रीम कोर्ट ने इसे रद्द कर दिया। लगातार विरोध और आलोचनाओं के बीच उनका कार्यकाल कमजोर होता चला गया।
सुप्रीम कोर्ट का झटका और सत्ता से बाहर
मई 2021 में K P Sharma Oli विश्वास मत हासिल करने में असफल रहे। राष्ट्रपति ने उन्हें अल्पमत सरकार के रूप में बनाए रखा, लेकिन यह फैसला भी सुप्रीम कोर्ट ने पलट दिया। अदालत ने शेर बहादुर देउबा को प्रधानमंत्री नियुक्त करने का आदेश दिया और इस तरह ओली का कार्यकाल समाप्त हो गया।
2022 चुनाव और किंगमेकर की भूमिका
2022 के चुनावों में उनकी पार्टी दूसरी सबसे बड़ी बनकर उभरी। इस बार सत्ता प्रचंड के हाथ में गई, जबकि K P Sharma Oli किंगमेकर की भूमिका में आ गए।
सोशल मीडिया बैन और इस्तीफा
हाल ही में सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाने के फैसले ने नेपाल में भारी विरोध को जन्म दिया। हिंसक झड़पों में 19 लोगों की मौत हो गई और सैकड़ों घायल हुए। हालात बिगड़ने पर सरकार ने बैन हटाया, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। जनता के गुस्से और दबाव में K P Sharma Oli को इस्तीफा देना पड़ा।
भारत-नेपाल रिश्तों में ओली की भूमिका
K P Sharma Oli की राजनीति हमेशा राष्ट्रवाद और भारत विरोधी रुख के लिए जानी जाती रही। सीमा विवाद से लेकर नक्शा विवाद तक, उन्होंने भारत पर कठोर बयान दिए। इससे उनकी छवि एक कट्टर राष्ट्रवादी नेता की बन गई।
निष्कर्ष
K P Sharma Oli की कहानी संघर्ष, महत्वाकांक्षा और विवाद का अनोखा मिश्रण है। किसान का बेटा जेल से निकलकर प्रधानमंत्री बना, लेकिन सत्ता की लड़ाई और विवादों ने उसके राजनीतिक करियर को हमेशा अस्थिर रखा। आज वे प्रधानमंत्री की कुर्सी से दूर हैं, लेकिन नेपाल की राजनीति में उनका असर अब भी गहरा है।
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