अज़ीज़ शख्सियतों की शिरकत से जश्न-ए-ईद मिलादुन्नबी ﷺ की महफ़िल हुई रौशन
लोहरौली (संवाददाता)। जश्ने ईद-ए-मिलादुन्नबी ﷺ के मुबारक मौके पर लोहरौली चौराहे से जुलूस-ए-मोहम्मदी का शानदार आयोजन किया गया। इस मौके पर क्षेत्र के उलमा-ए-किराम, मदरसों के तलबा, सामाजिक कार्यकर्ता, बुज़ुर्ग और बड़ी संख्या में नौजवानों ने शिरकत की। जुलूस के दौरान पूरे इलाके में नारे-तकबीर और नारे-रिसालत की सदाएँ गूंजती रहीं, जिससे पूरा माहौल रूहानी रंग में रंग गया।
अमन, मोहब्बत और इंसानियत का पैग़ाम

कार्यक्रम में शामिल हुए युवा समाजसेवी एवं सम्भावित जिला पंचायत सदस्य प्रत्याशी रिज़वान मुनीर ने कहा कि हमें सरकार-ए-दो आलम ﷺ के बताए हुए रास्ते पर चलना चाहिए। यही रास्ता मोहब्बत, अमन और इंसानियत की तालीम देता है। उन्होंने कहा कि असली कामयाबी उसी में है जब हम दीन की खिदमत को उसी अंदाज़ में अंजाम दें, जैसा हज़रत ﷺ ने तालीम फ़रमाया।
इत्तेहाद और भाईचारे की मिसाल
सोशल एक्टिविस्ट अबूजर चौधरी ने कहा कि जुलूस-ए-मोहम्मदी हमारे इत्तेहाद और भाईचारे की मिसाल है। उन्होंने नौजवानों से अपील की कि वे मोहब्बत का पैग़ाम आम करें और समाज से नफ़रत व फ़साद को मिटाने का काम करें।
नौजवानों पर भरोसा और उम्मत की ताक़त
मौके पर उपस्थित हाजी इफ्तिखार हसन सिद्दीकी ने अपने बयान में कहा कि नौजवान हमारी क़ौम का असल सहारा हैं। अगर नौजवान दीन की राह पकड़ लें तो समाज में अमन-ओ-सुकून और मोहब्बत का रंग कायम रहेगा। उन्होंने दुआ की कि अल्लाह तआला हमें नेक रास्ते पर चलने की तौफ़ीक़ अता करे।
ईमान की ताज़गी का सबब
मोहम्मद उमर सिद्दीकी ने कहा कि ऐसे मुबारक जुलूस हमारी ईमान की ताज़गी का सबब हैं। हमें हर साल और ज़्यादा शौक़ और मोहब्बत के साथ इस जश्न को मनाना चाहिए, ताकि उम्मत का इत्तेहाद और मजबूती बनी रहे।
जुलूस-ए-मोहम्मदी – पहचान और सुकून का पैग़ाम
वहीं, नफ़ीस सिद्दीकी ने कहा कि जुलूस-ए-मोहम्मदी हमारी पहचान है। यह सिर्फ़ एक जश्न नहीं बल्कि हमारे दिलों का सुकून और ईमान का सबूत है। उन्होंने कहा कि हमें हमेशा मोहब्बत और भाईचारे का पैग़ाम समाज तक पहुँचाना चाहिए।
कामयाबी और शान के साथ मुकम्मल हुआ जुलूस
अख़िर में लोगों ने दुआ की कि अल्लाह तआला हमें हमेशा अपने हबीब ﷺ के बताए हुए रास्ते पर चलने की तौफ़ीक़ अता करे। जुलूस-ए-मोहम्मदी पूरी कामयाबी, शान और शौकत के साथ मुकम्मल हुआ।
निचोड़
लोहरौली चौराहे पर निकला गया जुलूस-ए-मोहम्मदी इस बात का प्रतीक रहा कि जब समाज अमन, मोहब्बत और भाईचारे के संदेश को अपनाता है तो हर दिल में सुकून और हर गली में रूहानी रंगत उतर आती है।
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