| 10.18 सेकंड में 100 मीटर दौड़ पूरी कर अनिमेष कुजूर भारत के सबसे तेज़ धावक बन गए हैं.
Vipin Sharma
Digital News Tak
“मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी कि दौड़ना मेरा करियर बन जाएगा। 12वीं के बाद तो मेरा सपना था कि मैं सेना में भर्ती हो जाऊं, लेकिन किस्मत ने मुझे बॉर्डर की जगह रेसिंग ट्रैक पर ला खड़ा किया।”
ये कहना है अनिमेष कुजूर का, जिन्होंने ग्रीस के वारी शहर में हुई ड्रोमिया इंटरनेशनल स्प्रिंट मीट में 100 मीटर की दौड़ महज़ 10.18 सेकंड में पूरी कर सबको हैरान कर दिया।
यह उपलब्धि उन्होंने 5 जुलाई को हुई रेस में हासिल की, जिसमें वह दक्षिण अफ्रीका के बेंजामिन रिचर्डसन (10.01 सेकंड) और ओमान के अली अल बलूशी (10.12 सेकंड) के बाद तीसरे स्थान पर रहे।
हालांकि ड्रोमिया की इस रेस में अनिमेष तीसरे स्थान पर रहे, लेकिन उन्होंने 100 मीटर दौड़ में भारत का अब तक का सबसे तेज़ समय दर्ज कर इतिहास रच दिया।
इससे पहले यह रिकॉर्ड गुरइंदरबीर सिंह के नाम था।
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छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले के आदिवासी गांव घुइतांगर से निकलकर अनिमेष कुजूर ने जो मुकाम हासिल किया है, वह सोशल मीडिया पर जमकर सराहा जा रहा है।
रिकॉर्ड बनाने के दो दिन बाद स्विट्जरलैंड से फ़ोन पर हुई बातचीत में अनिमेष ने बीबीसी से कहा, “मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं 100 या 200 मीटर दौड़ में करियर बनाऊंगा। बारहवीं के बाद तो मेरा सपना फ़ौज में भर्ती होने का था, लेकिन ज़िंदगी ने बॉर्डर के बजाय रेसिंग ट्रैक की राह पकड़ा दी।”
अनिमेष छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले के रहने वाले हैं, जो प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का भी गृह ज़िला है।
सैनिक स्कूल अंबिकापुर से बारहवीं तक की पढ़ाई करने वाले अनिमेष आज पूरे देश में चर्चा का विषय बने हुए हैं।
उनके पिता अमृत कुजूर और मां — दोनों ही छत्तीसगढ़ पुलिस में डीएसपी के पद पर कार्यरत हैं।
पिता अमृत कुजूर कहते हैं, “जब बेटा ट्रैक पर दौड़ता है और देश का नाम रोशन करता है, तो दिल गर्व से भर उठता है। ये तो बस शुरुआत है, अभी उसे और तेज़ दौड़ना है।”
फ़ौज में भर्ती की तैयारी

| सैनिक स्कूल में पढ़े अनिमेष का सपना भारतीय सेना में जाना था.
अनिमेष ने बताया, “मैंने 2020 में 12वीं पास की थी। उसी वक्त कोरोना महामारी शुरू हो गई। उस दौरान मैं अपने मम्मी-पापा के साथ कांकेर में रह रहा था। वहां मैं रोज़ सुबह-शाम एक खेल मैदान में फ़ुटबॉल खेलने जाया करता था। फ़ुटबॉल मेरा शौक भी था और उसी के ज़रिए मैं फ़ौज में भर्ती की तैयारी कर रहा था।”
इसी बीच कुछ दोस्तों ने उन्हें ओपन स्टेट टूर्नामेंट में हिस्सा लेने के लिए प्रेरित किया।
उन्होंने बीबीसी से कहा, “मैं तो फ़ुटबॉल खिलाड़ी था, लेकिन दोस्तों ने कहा कि ओपन टूर्नामेंट है, ट्राय करके देखो। मैंने 100 मीटर दौड़ और गोला फेंक में हिस्सा लिया। वहीं से अगला टूर्नामेंट मिला, फिर उससे अगला… और इस तरह एक साल में ही रेसिंग ने मेरी ज़िंदगी में जगह बना ली। फिर दौड़ने में इतना आनंद आने लगा कि वही मेरा जुनून बन गया।”
मार्टिन सर ने पूरी दुनिया की सोच ही बदल डाली।

| अपने डीएसपी माता-पिता के साथ अनिमेष कुजूर और उनके भाई
इसी तरह की एक प्रतियोगिता के दौरान ओडिशा स्थित रिलायंस फाउंडेशन एथलेटिक्स हाई परफॉर्मेंस सेंटर के मुख्य कोच मार्टिन ओवेंस की नज़र पहली बार अनिमेष पर पड़ी।
अनिमेष बताते हैं, “मार्टिन सर से हुई मुलाकात ने मेरी ज़िंदगी की दिशा ही बदल दी।”
उन्होंने आगे कहा, “मार्टिन सर ने मुझे ओडिशा आकर रिलायंस फाउंडेशन के एथलेटिक्स ट्रेनिंग सेंटर से जुड़ने का प्रस्ताव दिया और मैंने तुरंत हामी भर दी।”
कोच मार्टिन ओवेंस याद करते हैं, “जब हमने ट्रेनिंग शुरू की, तब अनिमेष के बॉडी पॉश्चर और तकनीक समेत कई चीज़ों में सुधार की ज़रूरत थी। लेकिन उसकी स्पीड और जुनून लाजवाब था। हमने एक-एक करके तमाम कमियों पर काम किया, और आज उसका असर साफ़ दिखाई दे रहा है।”

पिछले साल स्पेन में अनिमेष ने 100 मीटर की दौड़ 10.27 सेकंड में पूरी की थी, जो उस समय उनका व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ रिकॉर्ड था।
बीते महीने जेनेवा मीट के दौरान उन्होंने 200 मीटर की रेस महज़ 20.27 सेकंड में पूरी की। यह भारत की अब तक की सबसे तेज़ 200 मीटर दौड़ मानी जा रही है। हालांकि, तकनीकी कारणों से इस प्रदर्शन को आधिकारिक रिकॉर्ड में शामिल नहीं किया गया।
दरअसल, प्रोफेशनल रेसिंग में किसी टाइमिंग को तभी वैध माना जाता है जब उस दौरान हवा की रफ्तार 2 मीटर प्रति सेकंड से कम हो। अनिमेष की यह रेस जब दर्ज की गई, उस वक्त हवा की गति 2.3 मीटर प्रति सेकंड थी। इसी वजह से उनकी शानदार टाइमिंग को रिकॉर्ड के रूप में मान्यता नहीं मिल पाई।
‘पहले मां डांटती थीं, अब उन्हें गर्व है’
शुरुआती दिनों में अनिमेष जब खेलों की ओर ध्यान देने लगे, तो उनकी मां अकसर डांटती थीं कि पढ़ाई छोड़कर खेल में वक्त क्यों बर्बाद कर रहे हो।
अनिमेष उन दिनों को याद करते हुए कहते हैं, “मम्मी को लगता था कि खेल में कोई भविष्य नहीं है। मैं पढ़ाई में ठीक-ठाक था, तो उनका सपना था कि मैं फ़ौज में अफसर बनने की तैयारी करूं। लेकिन अब मम्मी दिन में कई बार फोन करके हालचाल लेती हैं और उनकी आवाज़ में साफ़ गर्व झलकता है।”
राष्ट्रीय रिकॉर्ड पर उनके कोच मार्टिन ओवेंस ने कहा, “हमें इस साल फरवरी से ही अंदाजा हो गया था कि कुछ बड़ा होने वाला है। अनिमेष की फॉर्म लगातार बेहतर हो रही थी। उनकी रफ़्तार और स्ट्राइड में शानदार सुधार दिख रहा था। और अब ग्रीस में उन्होंने नया नेशनल रिकॉर्ड बनाकर ये साबित कर दिया है। हम उन पर गर्व करते हैं।”
हालांकि कोच मार्टिन मानते हैं कि यह तो सिर्फ शुरुआत है।
उन्होंने कहा, “अनिमेष के सामने अभी लंबा सफर है। मैं उन्हें कम से कम अगले दस साल तक ट्रैक पर दौड़ते हुए देखता हूं। उन्हें अभी और तेज़ और बेहतर होना है।”
इस समय अनिमेष और भारत के अन्य युवा धावक यूरोप दौरे पर हैं, जिसे कोच मार्टिन भारतीय खिलाड़ियों के लिए बेहद अहम मानते हैं।
उनके मुताबिक, “हम चाहते हैं कि अनिमेष और बाकी युवा इस दौरे में खुद को और बेहतर करें। यहां की प्रतियोगिताएं बहुत उच्च स्तर की होती हैं, जहां खिलाड़ी एक-दूसरे को बेहतरीन प्रदर्शन के लिए प्रेरित करते हैं।”
अब अनिमेष का अगला मुकाम मोनाको में होने वाली डायमंड लीग है, जहां 11 जुलाई को वह अंडर-23 कैटेगरी की 200 मीटर दौड़ में हिस्सा लेंगे।
कोच मार्टिन इसे एक शानदार अवसर बताते हुए कहते हैं, “यह प्लेटफॉर्म अनिमेष जैसे युवा धावकों को दुनिया के बेहतरीन खिलाड़ियों के साथ दौड़ने का अनुभव देता है, जो उनके करियर में अहम भूमिका निभा सकता है।”
देश की उम्मीदों और अपने सपनों के साथ ट्रैक पर उतरने को तैयार अनिमेष कहते हैं, “यूरोप में दौड़ और ट्रेनिंग के दौरान मैंने महसूस किया कि सीखने को अभी बहुत कुछ बाकी है। मैं पूरी ताक़त और दिल से दौड़ूंगा – देश के लिए, खुद के लिए।”